देश में प्रसूताओं की मौत में उल्लेखनीय कमी
सेहतराग टीम
भारत में बच्चे को जन्म देते समय महिलाओं की मौत हमेशा से बड़ी समस्या रहा है। मगर अब देश में फैलती स्वास्थ्य सुविधाओं और ज्यादा से ज्यादा डिलिवरी अस्पतालों में होने के कारण इन मौतों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। प्रति एक लाख सामान्य जन्म पर वर्ष 2011-13 में प्रसूताओं की मौत का आंकड़ा 169 था जो कि 2014-16 में घटकर 130 रह गया है।
इन मौतों की वजह क्या है
वैस आज भी इतनी बड़ी संख्या में हो रही मौतों के पीछे मुख्य वजह शरीर में खून की कमी होना या किसी प्रकार का संक्रमण होना है। खून की यह कमी बच्चे के जन्म के बाद महिला के शरीर से होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव के कारण होती है जिसे पोस्ट पार्टम हेमरेज कहते हैं। ये समस्या होने पर बच्चे के जन्म के अगले 24 घंटे में महिला के शरीर से आधा से लेकर एक लीटर तक खून बह जाता है। दूसरी ओर संक्रमण की समस्या मुख्यत: इस वजह से होती है कि प्रसूति का कार्य किसी साफ सुधरे अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र की बजाय घर या अन्य किसी अस्वास्थ्यकर जगह पर होता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि पर्याप्त और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा तक गर्भवती महिला की पहुंच न हो पाना बच्चे के जन्म के समय मां के मौत की सबसे सामान्य वजह है। ग्रामीण महिलाओं के मामले में यह पूरी तरह सही है। किसी भी नवजात के साथ कुछ भी जटिलता होने और मां के स्वास्थ्य को सही रखने में तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध होना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
और भी चीजें जरूरी हैं
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि भारत में गर्भवती महिलाओं की मौत के पीछे एनिमिया भी एक बड़ी वजह है जिसपर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। किसी गर्भवती महिला में तीन तरह का एनिमिया हो सकता है। आयरन की कमी, फोलेट की कमी या फिर विटामिन बी 12 की कमी। गर्भावस्था के दौरान एनिमिया की हलकी समस्या आम बात है मगर यदि ये समस्या बढ़ जाए तो इसका जल्दी से जल्दी निदान किया जाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान एनिमिया होने के लक्षणों में त्वचा, होंठों और नाखूनों का रंग फीका पड़ना, थकान, उनिंदापन, सांस में कमी, तेज हृदयगति और एकाग्रता में कमी शामिल है। हालांकि ये भी सही है कि ये सभी लक्षण गर्भावस्था के आम लक्षण भी हो सकते हैं और इसलिए सिर्फ खून की जांच से ही पता चल सकता है कि कोई महिला एनिमिक है या नहीं।
सरकार की पहल
केंद्र सरकार से बीते साल प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना लॉन्च की थी जिसके तहत हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़े सभी इलाज मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। प्रधानमंत्री की इस योजना से पूरे देश के डॉक्टर स्वयंसेवक के रूप में जुड़े हैं जो हर नौ तारीख को ऐसी महिलाओं को मुफ्त में चिकित्सा मुहैया कराते हैं। चूंकि इस योजना को अभी एक ही साल हुआ है इसलिए प्रसूताओं की मौत के मामले में इसका असर अभी सामने आना बाकी है मगर उम्मीद यही है कि जब 2016 के बाद के आंकड़े आएंगे तो प्रति एक लाख सामान्य जन्म के मामले में 130 प्रसूताओं की मौत की संख्या में और कमी आएगी।
गर्भवती महिलाओं को कुछ सुझाव
गर्भावस्था के दौरान आयरन की ज्यादा मात्रा वाला भोजन करें, जैसे कि मांस, मुर्गा, मछली, अंडा, सूखे बीन्स और साबूत अनाज। मांस में पाया जाने वाला आयरन सब्जियों में मिलने वाले आयरन के मुकाबले ज्यादा आसानी से शरीर में अवशोषित होता है।
सूखे बीन्स, गहरे हरे रंग की सब्जियां, संतरे का रस, गेहूं आदि में फोलिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इनका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं के लिए सही रहेगा।
खाना हमेशा लोहे के बर्तन में पकाएं क्योंकि इससे शरीर में 80 फीसदी अधिक आयरन की आपूर्ति होती है। इसी प्रकार खट्टे फल और ताजी सब्जियां खाने से शरीर में विटामिन सी की कमी पूरी होगी।
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